सैंकड़ों वर्ष पुराने मंदिर का रहस्य कोई नही जानता
सौरव पाल/मथुरा: धर्मनगरी वृंदावन की जब कि जाए तो सबसे पहले भगवान कृष्ण की बात की भक्ति-भाव से लोग भर जाते हैं। वृंदावन की भूमि और पौराणिक कथाओं के कारण यहां कई सारी मंदिर हैं। यहां ऐसे कई मंदिर हैं, जिन्हें देखने के लोग दूर-दूर से ताकतवर हैं। ऐसा ही एक अनोखा मंदिर है वृंदावन का अष्टसाखी मंदिर। जहां आपको सिर्फ कृष्ण और राधा के नहीं बल्कि उनकी 8 प्रमुख साखियों के भी दर्शन होंगे।
मंदिर सेवायत सुभाष ने बताया कि- यह मंदिर सैकडों वर्ष पुराना है। पूरे ब्रज में यह इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां भगवान राधा कृष्ण के साथ उनकी आठ सांखियां भी हैं। उनकी इन आठ साखियों के नाम ललिता, विशाखा, इंदुलेखा, चित्रलेखा, रंगदेवी, सुदेवी, तंगु विद्या और चंपकलता हैं। वृंदावन का यह अष्टसखी मंदिर काफी प्रसिद्ध मंदिर है। मंदिर की भव्यता और प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलता है। इस मंदिर में गोपियां भगवान की रास में जाने से पहले करती थीं अलग-अलग सेवा। उसी आधार पर मंदिर में भगवान की मूर्ति भी स्थापित की गई है। ताकि भगवान की सेवा उनकी साखियों के सेवा भाव से हो सके।
किया गया मंदिर की स्थापना?
सुभाष ने आगे बताया कि- इस मंदिर की स्थापना पश्चिम बंगाल के बीरभूम के राजा राम रंजन बच्चन की पत्नी पद्मावती की कृष्ण भक्ति की वजह से हुई थी। क्योंकि यहां स्थापित है लोध गोपाल स्वयं प्रकट हुए हैं लोध गोपाल। रानी पद्मावती की भक्ति में इतनी मगन थी कि वह कृष्ण से बातें करने लगी थी। उसी समय भगवान कृष्ण ने उन्हें आदेश दिया कि-वृंदावन में कोई अष्टसखी मंदिर नहीं है। वहां पर अष्टसखी मंदिर का निर्माण हुआ, जिसके बाद उन्होंने यहां इस मंदिर की स्थापना की।
वृंदावन में कहाँ है अष्टसखी मंदिर?
अगर आप भी कभी धर्मनगरी के वृंदावन तीर्थयात्री हैं तो यहां के इस अष्टसखी मंदिर के दर्शन जरूर करें और भगवान कृष्ण और राधा रानी के साथ ही उनके सखियों के भी दर्शन करें। अष्टसखी मंदिर वृन्दावन में श्री बाँके बिहारी मंदिर के समीप पूजन रोड पर स्थित है
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