मणिपुर में कांग्रेस को नहीं बोलने दिया

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मणिपुर में कांग्रेस को नहीं बोलने दिया

मणिपुर में कांग्रेस को नहीं बोलने दिया

गृह मंत्री अमित शाह की ओर से शनिवार को आयोजित सर्वदलीय बैठक में केंद्र की स्थिति पर विस्तार से चर्चा हुई। इस दौरान कई आर्किटेक्चरल आर्किटेक्ट्स ने प्रदेश में सर्वदलीय आर्किटेक्ट्स की अपील की। हालाँकि, सरकार ने सेमेस्टर लेकर कोई भी तिमाही नहीं बनाई है। कांग्रेस और कुछ अन्य आर्केस्ट्रा के प्रमुख एन बीरेन सिंह को पद से हटाने की मांग की गई तो कुछ आर्केस्ट्रा के कुछ आर्केस्ट्रा ने आर्केस्ट्रा में राष्ट्रपति शासन स्थापित करने का आग्रह किया। पासपोर्ट के अनुसार, सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि वह सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए पूरा प्रयास कर रही है।

कांग्रेस की बैठक में ‘औपचारिकता’ अधिकार देते हुए कहा गया कि केंद्र को प्रदेश में शांति बहाली के लिए गंभीर पहल करनी चाहिए और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को पद छोड़ देना चाहिए। पार्टी के महासचिव राकेश राकेश ने यह भी कहा कि पीएम मोदी को इस मामले में ‘चुप्पी’ तोड़नी चाहिए। कांग्रेस की ओर से इस बैठक में शामिल हुए मुखर्जी के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने कहा कि बीरेन सिंह के नेतृत्व में शांति संभव नहीं है। उन्होंने दावा किया कि बैठक में उन्हें कुछ मिनट का समय दिया गया, जबकि उन्होंने अपनी बात रखने के लिए और समय मांगा था।

अंतिम में माननीय सर्वदलीय बैठक थी: अर्थशास्त्री रमेश
सर्वदलीय बैठक के बारे में कांग्रेस नेता किशाल रमेश ने कहा, ‘बेहतर होता है कि सर्वदलीय बैठक में यह संदेश जाता है कि लोकतंत्र की पीड़ा देश की पीड़ा है।’ अलग-अलग उग्रवादी समूह वहां मौजूद हैं जिनके पास हथियार हैं। हमारी मांग है कि बिना किसी भेदभाव के सभी मिलिटेंट ग्रुप से हथियार वापस लिए जाएं। जब तक एन. बीरेन सिंह मुख्यमंत्री सचिवालय तब तक सचिवालय में परिवर्तन की संभावना नहीं है, पद छोड़ना चाहिए। मुख्यमंत्री ने स्वयं स्वीकार किया है कि मुझे पद स्थिर नहीं मिला, ऐसे में उनके मुख्यमंत्री आवास का नामुमकिन है।’

नोबेल शांति बहाली के लिए सभी प्रयास: संबित पात्रा
अर्थशास्त्री राकेश ने कहा कि 2001 के जून माह में जब अटल बिहारी सरीखे प्रधानमंत्री थे तब विद्वान जल रहे थे। उनके बाद अर्थशास्त्री अमन, शांति और विकास के रास्ते पर लौटे उनके प्रमुख कार्य हैं ओकराम इबोबी सिंह (मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री) ने वहां 15 साल तक स्थिर सरकार दी। वहीं, बैठक के बाद बीजेपी के महासचिव संबित पात्रा ने बयान दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के निर्देशों पर शांति बहाली के लिए सभी प्रयास किये जा रहे हैं। पात्रा के अनुसार, गृह मंत्री शाह ने बैठक में यह भी कहा कि एक दिन में भी माओवादियों में हिंसा की शुरुआत होने पर ऐसा नहीं होगा, जब वे मोदी से बात करने के लिए आए थे या फिर प्रधानमंत्री ने निर्देश नहीं दिए थे।

टीएमसी बोली- क्या नेताओं को कश्मीर बनाने की कोशिश?
‘पटना में कैथोलिक बिशप डेरेक ओब्रायन ने कहा, ‘पटना में 24 घंटे के भीतर कैथोलिक बिशप के विषय में हुई सर्वदलीय बैठक में डेमोक्रेट ने एकजुटता के साथ अपनी बात रखी।’ सर्वदलीय बैठक को लेकर पारंपरिक कांग्रेस ने बयान जारी करते हुए सवाल किया कि क्या सरकार के नेता कश्मीर में सत्ता परिवर्तन की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल की मांग को लेकर मुख्यमंत्रियों पर हमला किया। वहीं, राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज झा ने बताया कि सर्वदलीय बैठक में लगभग सभी आश्रमों में ले जाए गए डेमोक्रेट ने कहा कि वहां के मुख्यमंत्री पर कम्युनिस्ट पार्टी का कोई विश्वास नहीं है। झा ने कहा, ‘मौटे हो रहे हैं, पलायन हो रहा है।’ वहां के नेतृत्व पर लोगों को विश्वास नहीं है. पूरी नौकरी ने ये बात कही है.’

सर्वदलीय बैठक में ये मोटरसाइकिल शामिल है
बैठक में भाजपा, कांग्रेस, सैद्धांतिक कांग्रेस और वामदलों समेत विभिन्न राजनीतिक आश्रमों के नेताओं ने भाग लिया। उदाहरण में भाजपा अध्यक्ष जे. पी. फ़्रॉच्ज़, डेमोक्रेट के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह, ताइवान के मुख्यमंत्री और नेशनल पार्टी (एनपीपी) के नेता कोनराड संगमा, संस्था (यूबीटी) के नेता विश्वनाथ चौधरी, अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कशगम (अन्नाद्रमुक) के नेता एम. थांबी दुरई, द्रविड़ मुनेत्र कशगम (द्रमुक) के नेता तिरुचि शिवा, बीजू जनता दल (बीजद) के नेता पिनाकी मिश्रा, आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता मनोज झा शामिल हुए। बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, नित्यानंद राय अजय कुमार मिश्रा, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका भी शामिल हुए।

माओवादियों में क्यों भड़की है हिंसा?
मैती और कुकी समुदाय के बीच 3 मई को हुई भीषण हिंसा में अब तक लगभग 120 लोगों की मौत हो गई है और 3 हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। मेइती समुदाय में जनजाति जनजाति (ST) वर्ग को शामिल करने की मांग का विरोध हुआ। इसे लेकर छात्रों के एक संगठन की ओर से 3 मई को ‘आदिवासी एकता मार्च’ में हिंसा भड़क उठी थी। शाह ने पिछले महीने चार दिन के लिए राज्य का दौरा किया था और विभिन्न संकायों के लोगों से मुलाकात के तहत बौद्ध मठ में शांति बहाल करने का आग्रह किया था।

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