एक शख्स जिसके शव को हाथी के पैरों में बांधकर घसीटा गया

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एक शख्स जिसके शव को हाथी के पैरों में बांधकर घसीटा गया

एक शख्स जिसके शव को हाथी के पैरों में बांधकर घसीटा गया

पीयूष शर्मा/मुरादाबाद. जब वे अपनी छत पर थे. नीचे उन्हें गोली मारी गई और उनके शव को एक हाथी के पैर से पूरे शहर में फेंक दिया गया। उसके बाद शव को इमली के पेड़ से लटका दिया और चूने की बोतल में डाल दिया। इन बातों के बारे में नवाब मज्जू के बारे में – वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. अजय अनुपम ने बताया।

बता दें कि नवाब मज्जू खां ने 1857 में ब्रिटिश क्रांति का बिगुल फतह किया था। उनकी आवाज इतनी मजबूत हो गई थी कि देश के कोने-कोने में आजादी के लिए देशभक्तों की बढ़त-चढ़ाई सामने आ गई। क्रांति की इस आवाज को इतिहास के लिए जाना जाता है, जब अंग्रेज़ ने पुर्जोर की कोशिश की थी। देश की जंग-ए-आजादी की पहली लड़ाई में यूपी के शहीद-ए-वतन नवाब माजिदुद्दीन नोय मज्जू खां की कुर्बानी कभी नहीं जा सकती।

इतिहासकार की जंज़ी

पुराने इतिहासकार डॉक्टर अजय अनुपम ने बताया कि नवाब मज्जू खान हमारे आदर्श हैं और वह मंडी चौक में रहते थे। जब नवाब ने दस्तावर में खरखजाना शुरू किया तो नवाब साहब अपनी छत पर थे। नीचे से उन्हें गोली मार दी गई और उनके शव को इमामी के पेड़ से लटका दिया गया और उनके शव को इमली के पेड़ से लटका दिया गया और उनके शव को शहर में एक हाथी के पैर से लटका दिया गया। बटीली में डाल दिया था.

आज भी मौजूद है इमली का पेड़

आज भी इमली का पेड़ मौजूद है, जिस पर नवाब मज्जू खां को फाँसी दी गई थी। नवाब मज्जू खां के साथ कई लोगों ने सरदार को शहीद कर दिया था। उनके सामान को यहां लकड़ी पर लटका दिया गया था और चूने की बोतलों में भी डाल दिया गया था। अंग्रेज़ों ने यहाँ स्वतंत्रता की आवाज़ उठाने वाले लोगों का जश्न मनाया था। यहां के कब्रिस्तान में स्वतंत्रता सेनानियों की कब्रें मौजूद हैं।

 

जनता के रोंगटे हो गये थे

इस इलाके को गलशहीद कहा जाता है. जिसका मतलब होता है घोड़े की मिट्टी. इतने ही खतरनाक आतंकवादी गिरोह ने कहा था कि गरीबों की जनता के प्रति आस्था बढ़ गई है और लोगों ने संकल्प लिया है कि हमारे नवाब साहब का अंतिम संस्कार हम नहीं करेंगे। जाहिर तौर पर है नवाब साहब की शहादत के बाद भी क्रांति नहीं दबाई गई बल्कि क्रांति की आग और दहक कर जली। आख़िरकार अंग्रेज़ों को देश छोड़ दिया गया और भारत को आज़ादी मिल गई

Author - Er. VIPIN BAGHEL Hi! I`m an authtor of this blog. Read our post - be in trend!

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